भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और जाने माने कवि श्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे। आज गुरुवार 16 अगस्त को दिल्ली के एम्स में उनका देहांत हो गया। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था।
पिछले 24 घण्टे से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी, और उन्हें एम्स में फूल लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था।
Atal Bihari Vajpayee The Great Politician And Poet
अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में एक बार पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि ये आदमी एक दिन बहुत आगे जाएगा और भारत का प्रधानमंत्री बनेगा। उस वक्त खुद जवाहरलाल नेहरू ने भी नहीं सोचा रहा होगा ये सिर्फ प्रधानमंत्री ही नहीं बनेंगे बल्कि अपनी पार्टी को शिखर तक ले जाएंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा। उनकी ये बात शत प्रतिशत सही साबित हुई और आज केंद्र की सत्ता से लेकर 20 राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं।
जनसंघ, जनता पार्टी और बाद में बीजेपी की नींव रखने वालों में एक प्रमुख नाम अटल बिहारी वाजपेयी का भी है, बीजेपी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था और उस वक्त लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में महज़ दो सीटें ही आई थी।
अटल बिहारी वाजपेयी 1942 में उस समय राजनीति में आए जब उनके भाई भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 23 दिनों के लिए जेल गए हुए थे। वाजपेयी ने आरएसएस के सहयोग से 1951 में भारतीय जनसंघ पार्टी बनाई जिसमे श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेता शामिल हुए।
वाजपेयी पहली बार 1957 में बलरामपुर संसदीय छेत्र से चुनाव जीत कर राज्यसभा के सदस्य बने। 1968 में वो राष्ट्रीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, उस समय पार्टी में लाल कृष्ण आडवाणी, नानाजी देशमुख और बलराज मधोक जैसे नेता थे।
आपातकाल के दौरान वाजपेयी व अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि वे इंदिरा गांधी का विरोध कर रहे थे, उस समय 1977 में जनता पार्टी के महानायक जय प्रकाश के नेतृत्व में आपातकाल का विरोध हो रहा था जिसमें वाजपेयी भी शामिल थे।
जेल से छूटने के बाद वाजपेयी ने जनसंघ का जनता पार्टी में विलय कर लिया, जिससे पार्टी अधिक मजबूत हो गई। 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की जीत भी हुई और वे मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मामलों के मंत्री भी बने।
Atal Bihari Vajpayee The Great Politician And Poet
शायद ये बहुत कम लोगों को पता हो कि विदेश मंत्री बनने के बाद वाजपेयी पहले ऐसे नेता बने जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासंघ को हिंदी भाषा मे संबोधित किया था। हालांकि 1979 में जनता पार्टी की सरकार गिर गई लेकिन तब तक वाजपेयी अपनी पहचान अनुभवी नेता और वक्ता के रूप में बना चुके थे।
उसके बाद पार्टी में अंतर्कलह शुरू हो गया और पार्टी बिखर गई, फिर 1980 में वाजपेयी अपने पुराने दोस्तों के साथ जनता पार्टी छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए और भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वे कांग्रेस के सबसे बड़े आलोचको में शुमार किये जाते थे। बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद वे लगातार पार्टी को मजबूत बनाने की दिशा में काम करते रहे।
1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, हालांकि संसद में पूर्ण बहुमत साबित ना कर पाने के कारण उनकी सरकार 13 दिनों में ही गिर गई।
दोबारा 1998 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को अधिक सीटें मिली और कुछ अन्य पार्टियों के सहयोग से वाजपेयी ने एनडीए का गठन किया और दूसरी बार प्रधानमंत्री बने लेकिन बीच मे ही जयललिता की पार्टी ने सरकार का साथ छोड़ दिया और 13 महीने में ही वाजपेयी सरकार फिर से गिर गई।
लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत हार मानने वालों में नहीं थी, वे लगातार प्रयास करते रहे, खुद को और पार्टी को अधिक मजबूत बनाते रहे। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी फिर से सत्ता में आई, वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और अपना कार्यकाल भी पूरा किया।
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आज बीजेपी कितनी मज़बूत स्थिति में है ये पूरी दुनियां जानती है और इसका श्रेय भी अटल बिहारी वाजपेयी को ही जाता है।
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